भोलेनाथ की शरण में आने वाले का कल्याण होता है संत उत्तमराम शास्त्री

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 22-JULY-2025 || अजमेर || भोलेनाथ की शरण में आने वाले का कल्याण होता है उसके सारे कष्ट मिट जाते हैं। भगवान भोलेनाथ संसार में सबसे दयालु है उनके लिए सभी एक समान है। बड़ा हो या छोटा वाला वे सबका कल्याण करते हैं किसी मैं कोई भेद नहीं रखते। तेजाजी की देवली मंदिर परिसर में शिव महापुराण कथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए रामस्नेही संप्रदाय के युवा संत उत्तमराम शास्त्री ने कहा कि दक्ष प्रजापित की 27 कन्याओं से चंद्र देव का विवाह हुआ था। दरअसल ये वही 27 कन्याएं है जिन्हें नक्षत्र कहा जाता है। जिसमें से वह सबसे ज्यादा रोहणी को पसंद करते थे। इस वजह से बकी की 26 कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से यह बात बताते हुए अपना कष्ट प्रकट किया। यह बात जानकर दक्ष प्रजापति के गुस्से का ठिकाना न रहा और उन्होंने चंद्र देव को श्राप दे डाला। दक्ष प्रजापति ने अपना श्राप वापिस नहीं लिया और जिस कारण चंद्र देव को क्षीण रोग हो गया और उसके कारण 16 कलाएं धीरे-धीरे खत्म होने लगी। देवता ब्रम्हा जी के पास पहुंचे। ब्रम्हा जी ने शिव उपासना की सलाह दी। चन्द्रमा ने प्रभास शत्र में तपस्या की,तब शिवजी ने प्रसन्न होकर उसे महीने के एक पक्ष में निखरने और दुसरे पक्ष में छीन होने का वरदान दिया उसी प्रभास श्रेत्र में तपस्या स्थल पर ही सोमनाथ का मंदिर का निर्माण किया गया महाराज ने बताया कि राजा चंद्रसेन की कथा उज्जैन के एक महान शिव भक्त राजा के रूप में वर्णित है। वह एक जितेन्द्रिय और शास्त्रों के ज्ञाता थे। राजा चंद्रसेन को मणिभद्र नामक शिव के एक पार्षद ने एक अत्यंत कीमती रत्न दिया था। एक बार, राजा चंद्रसेन ने एक दिव्य बालक श्रीकर को देखा, जो भगवान हनुमान का रूप था। श्रीकर ने राजा को भगवान शिव की महिमा और महाकाल ज्योतिर्लिंग के महत्व के बारे में बताया। राजा चंद्रसेन ने भगवान महाकाल की पूजा की और उनकी कृपा प्राप्त की। राजा चंद्रसेन की आज्ञा से सभी नरेश अपने-अपने राज्य वापस लौट गए। तब से भगवान महाकाल स्वयं उज्जैन में विराजमान हैं। यह कथा राजा चंद्रसेन की भक्ति, भगवान शिव की कृपा और महाकाल ज्योतिर्लिंग के महत्व को दर्शाती है।।।।।।

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