धर्म का मार्ग छोड़ने वाला जीवन में कभी नहीं सुधर सकता - आचार्य सुंदरसागर महाराज

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 03-SEP-2024 || भीलवाड़ा || धर्म के मार्ग पर चलने वाला कभी नहीं बिगड़ सकता है ओर जो धर्म को छोड़ देता है वह जीवन में कभी नहीं सुधर सकता है। दूसरों को सुधारने का प्रयास करने पर खुद से दूर हो जाएंगे। खुद को सुधारने का प्रयास करने पर दृष्टि समीचीन एवं सुंदर हो जाएगी। वीतराग मुद्रा को देखने पर पूरा ध्यान उसे निहारने पर केन्द्रित करो। आंखों से आंसू आने लगते है मध्य की दूरियां मिट जाती है यहीं आपके भावों की परिणति है। जितना निहारेंगे उतनी ही दृष्टि निखरेगी। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक (वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत मंगलवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इंसान जब-जब पर में जाएगा पराधीनता में जाएगा,वाचाल होने पर आनंद नहीं आएगा। आनंद की अनुभूति स्वाधीनता में ही हो सकती है। आत्मा के अंदर आने का पुरूषार्थ करना है। कोई निंदा करे तो आनंद आना चाहिए कि कोई मेरी चिंता कर रहा है। जिनेन्द्र देव की प्रशंसा करके अपनी सफाई कर ले। आत्मालोचना करने पर स्वयं भगवान बन जाएंगे। संसार के सारे दरवाजे भले बंद हो जाए पर जिनशासन का दरवाजा हमेशा खुल रहता है। आचार्यश्री ने कहा कि वितराग देशना ही आपके जीवन में परिवर्तन ला सकती है। इसको आत्मसात करने पर अपनी दृष्टि बदल जाएगी ओर भगवंतता प्रकट हो जाएगी ओर आत्मा भगवान बन जाएगी। ऐसे में वितराग देशना श्रवण करने का अवसर जीवन में कभी नहीं छोड़ना चाहिए। इससे पूर्व प्रवचन में क्षुल्लिका सुजेयमति माताजी ने कहा कि संसार में दो प्रकार के सुख लोकिक ओर अलोकिक है। इनमें से लोकिक सुख सांसारिक वासनाओं की ओर ले जाता है जबकि मोक्ष की तरफ ले जाने वाला अलोकिक सुख गिने चुने जीव ही चुनते है। आत्मा के कल्याण की कामना रखने वाले मुमुक्षु अलोकिक सुख चुनते है। जो वितरागी होते है इनकी शरण लेकर जीवन का कल्याण कर लेते है। गुरूओं के उपदेश को जीवन में आत्मसात करेंगे तो हमारा कल्याण होगा। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है। ।।।

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