श्रावक-श्राविकाओं के लिए जिनेन्द्र पूजा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन*

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 1-SEP-2024 || भीलवाड़ा || जब तक हम तेरे-मेरे में उलझे रहेंगे संसार से मुक्ति नहीं मिलने वाली है। निग्रन्थ मुनिराज लोकप्रिय होने के लिए नहीं बल्कि लोक अतीत होने के लिए होते है। आगम कहता है कि तेरा-मेरा के भाव से मुक्त होकर तेरह होना ही निग्रन्थ का मार्ग है। पंच महाव्रत, पंच समिति ओर तीन गुप्ति का पालन करने वाले ही तेरह है। निग्रन्थ बन जाएंगे तो मोक्ष भी मिल जाएगा। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक (वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत रविवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जो भगवान महावीर की जिनवाणी को आत्मसात कर लेगा वह ही भगवान बन जाएगा। जिनवाणी श्रवण करने का सौभाग्य सबको नहीं मिलता है। भगवान महावीर ने अपने 12 वर्ष की साधना में एक बार विधि ले ली फिर 175 दिन तक विधि नहीं मिली। तीर्थंकरों के अनंत बल होता है। साधु-संतों की कोई पार्टी नहीं होती, रागियों की पार्टी होती है। आचार्यश्री ने कहा कि तेरह प्रकार के चारित्र का पालन करो। ना कोई तेरा है, ना कोई मेरा है, दुनिया रैन बसेरा है। छपक श्रेणी वाला ही कल्याण कर पाएगा ओर 13वां गुणस्थान मिल जाएगा। बारह व्रत ओर आठ मूल गुण पालना कर जाएंगे तो पांचवा गुणस्थान मिल जाएगा। सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि जैन समाज के सबसे बड़े पर्व पर्युषण की आराधना शुरू होने से पहले पूज्य आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में रविवार को श्रावक-श्राविकाओं एवं आठ वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए जिनेन्द्र पूजा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण आर्यिका सुकाव्यमति माताजी के निर्देशन व मार्गदर्शन में हुआ। प्रशिक्षण के दौरान घर से मंदिर जाना, मंदिर में कैसे प्रवेश करना, घंटा बनाना, स्तुति बोलना, तीन परिक्रमा करना, शुद्ध पानी भरना, अष्ट द्रव्य तैयार करना, थाली में सामग्री जमाना, पानी छानने की विधि, पूजा करने की विधि आदि के बारे में विस्तार से समझाया गया। द्रव्य, क्षेत्र,काल, भाव की शुद्धि रखने के बारे में भी बताया गया। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि शिविर में पूजा का उद्ेश्य बताने के साथ श्रावक-श्राविकाओं की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है ।। ।।।।।

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