कषाय मुक्त हो जीवन,हमारे भाव ही तय करते मोक्ष का मार्ग-आचार्य सुंदरसागर महाराज

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 23-AUG-2024 || भीलवाड़ा || हमारे शरीर काय का रंग कैसा भी हो परिणाम अच्छे होने चाहिए। कषायों का जब तक स्वाद रहेगा परिणाम काला ही रहेगा। कषाय सबको अच्छी लगती है पर उसके परिणाम प्रतिकूल होते है। क्रोध करने पर परिणाम काले हो जाते है ओर मोक्ष भी नहीं मिल सकता। हमे अच्छे परिणाम चाहिए तो कषाय मुक्त होना पड़ेगा ओर तन ही नहीं मन भी निर्मल बनाना पडेगा। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक(वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत शुक्रवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सफेद वस्तु पर छोटी सी कालिमा लगने पर दाग पड़ जाता है। परिणामों से ही भावों का रंग भी बदलता है। सम्यकत्व की प्राप्ति होते ही मोक्ष मिल जाएगा गुणस्थान को कोई नहीं बदल पाएगा। हमारे भाव ही हमारे मोक्ष का मार्ग तय करते है। जिस तरह एक छोटी सी चिंगारी भीषण आग लगा देती है उसी तरह मिथ्यात्व का एक कण भी मोक्ष को बिगाड़ देता है। आचार्यश्री ने कहा कि पुरूष वेद स्त्रियों के प्रति लालसा पैदा करता है ओर वैसे ही भाव पैदा होते है। स्त्री वेद पुरूषों के प्रति लगाव पैदा करता है। नपुंसक वेद स्त्री एवं पुरूष दोनों के प्रति लालसा पैदा करता है। इन कषायों को छोड़ने पर गुणस्थान उच्च हो जाएगा। चौथा गुणस्थान सम्यकत्व का प्राप्त होने पर मुमुक्षु 14वें गुणस्थान का अधिकारी हो जाता है। इससे जिन बनने का अधिकार मिल जाएगा। यहीं मोक्ष एवं सम्यक मार्ग है। इससे पूर्व प्रवचन में आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी ने कहा कि सब प्राणी सुख चाहते तो है लेकिन उसे पाने के लिए प्रयास नहीं करते है। सुबह उठते ही पूजा करने के भाव जागृत होने चाहिए। शुरूआत शुभ कार्य से होने पर पर पूरा दिन अच्छा निकलता है। आहार देने में हमेशा शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। सकारात्मक सोच से ही व्यक्ति का कल्याण होता है। संतों का चातुर्मास मिला है तो उसका पूरा लाभ लेना चाहिए। जिनवाणी सुनकर मोह का त्याग करना चाहिए। पुरूषार्थ करते हुए एक-एक नियम रोज लेकर बूंद-बूंद कर अपने पुण्य का घड़ा भरते रहो। सांयकालीन सत्र में आचार्यश्री ने श्रावकों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी ने ज्ञानावरणीय कर्म के बारे में बताया। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है ।।।।

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