झूठ बोलने के कारणों से बचे :--- मुनि श्री प्रियदर्शन

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 08-SEP-2023 || अजमेर || संघनायक गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि ज्ञानी ध्यानी और महामुनी बनने के लिए पापों का त्याग करना परम आवश्यक है ।इसी क्रम में दूसरे पाप मृषावाद के त्याग की चर्चा चल रही है। दसवेकालिक सूत्र में झूठ बोलने के चार कारण बताए हैं ।क्रोध, लोभ, भय और हास्य के कारण व्यक्ति झूठ बोलता है। क्रोध में व्यक्ति को यह भान नहीं रहता है कि वह क्या बोल रहा है जिस प्रकार गाड़ी चलाते समय अगर वह कंट्रोल से बाहर हो जाए तो एक्सीडेंट होने की संभावना रहती है उसी प्रकार क्रोध में व्यक्ति से झूठ बो की संभावना रहती है । लोभ के कारण भी व्यक्ति झूठ बोलता है व्यक्ति जब दुकान पर बैठा हो और ग्राहक वस्तु का भाव पूछे तो रोजी-रोटी, बच्चे, बच्चियों ,यहां तक की भगवान की सौगंध भी खा जाता है ,और झूठ कह देता है कि यह वस्तु मेरे इस भाव पड़ी है। लोभ के कारण व्यक्ति असली को नकली ,नकली को असली कर देता है ।वस्तु में मिलावट आदि कर देता है ।लालच के कारण बच्चे भी टॉफी आदि को प्राप्त करने के लिए झूठ बोल जाते हैं। झूठ बोलने का तीसरा कारण भय है उदाहरण के तौर पर जैसे किसी बच्चे के हाथ से कांच का गिलास फूट जाने या क्लास में नंबर कम आए तो वह डर के मारे बच्चे झूठ बोल जाते हैं। झूठ हंसी मजाक में भी बहुत बोला जाता है ।और आजकल तो मोबाइल भी झूठ बोलने का सबसे बड़ा साधन हो गया है ।व्यक्ति होगा कहीं और अपने आप को बताएगा कहीं ।और चाहे मजाक की क्यों नहीं हो मगर झूठ तो झूठ ही रहेगा। इसी के साथ शास्त्रों में झूठ बोलने के कुछ और कारण भी दिए हैं जिसमें एक है कि व्यक्ति अपनी शेखी बघारने के लिए भी झूठ बोलता है। यानी साधन सुविधा कम होते हुए भी ज्यादा दिखाने के लिए झूठ बोलना । दो कारण और है एक सकारण झूठ और दूसरा अकारण झूठ ।जीव रक्षा का प्रयोग उपस्थित होने पर जीव को बचाने के लिए दया की भावना से बोला गया झूठ सकारण झूठ माना जाता है ।इसके अतिरिक्त बोले गए झूठ को अकारण से बोले झूठ माने जाते हैं ।अतः झूठ बोलने के कर्म को सुनकर समझकर ग्रुप सुग्य बंधुओ को झूठ के कारणों से और झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए ।अगर ऐसा प्रयास और पुरुषार्थ रहा तो मानव जीवन की दुर्लभ स्थितियों को प्राप्त करना सार्थक सिद्ध हो सकेगा । प्रवर्तक गुरुदेव श्री पन्नालाल जी महाराज साहब की 136वीं जन्म जयंती के अवसर पर एकासन की अठाई,सामायिक, पोरसी, नीवी, भिक्षु दया एवं जाप आदि समस्त कार्यक्रमों को सह परिवार सम्मिलित होने हेतु गुरुदेव श्री जी द्वारा सभी को प्रेरणा प्रदान की गई ।विजयनगर गुलाबपुरा आदि जगहों से श्रद्धालुजन दर्शन व वंदन के लिए पधारे ।प्रवचन प्रतिक्रमण संवर साधना के कार्यक्रम नियमित रूप से गतिमान है। आज की धर्म सभा को पूज्य श्री विराग दर्शन जी महारासा ने भी संबोधित किया । धर्म सभा का संचालन हंसराज नाबेड़ा ने किया।

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