धन की गति तीन है: दान,भोग और नाश -- प्रियदर्शन मुनि

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 18-AUG-2023 || अजमेर || महापर्व पर्यूषण व्यक्ति को अध्यात्म की ओर जोड़ने का पर्व है।इस महापर्व के पांचवे दिवस धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालु जनों को संबोधित करते हुए संघनायक गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि जिन जिन आत्माओं ने इस संसार की असलियत को जान लिया, उन्होंने इस संसार का त्याग कर दिया ।संसार की स्थिति इस प्रकार की है जैसे कोई डिब्बा बाहर से बहुत आकर्षक और अच्छी पैकिंग वाला है। परंतु अंदर खराब चीज बड़ी है। यह संसार भी बाहर से बहुत और आकर्षक नजर आता है मगर वास्तविकता तो यह है कि यहां पिता _पुत्र भाई _भाई पति_ पत्नी बहन _भाई आदि कोई भी रिश्ते सगे नहीं है. स्वार्थ के टूटते ही रिश्ते भी टूट जाते हैं । भगवान के उपदेश धनवान और गरीब सभी के लिए समान होते हैं। धन की इच्छा रखने वालों के लिए भगवान ने फरमाया की इस धन की तीन गति है ।दान, भोग और नाश ।अगर यह धन आप दान या भोग में नहीं लेते हैं तो फिर तीसरी गति नष्ट को तो यह प्राप्त होता ही है । इस धन के साथ तीन कलंक भी लगे हुए हैं कि 1 मरने के बाद यह धन किसी के साथ जाता नहीं है। 2 मृत्यु तक साथ रह जाए यह भी निश्चित नहीं है । 3 जीवन भर शांति दे देगा यह भी नहीं कहा जा सकता है । लेकिन यह बात जरूर कही जा सकती है कि धन अपने साथ लड़ाई, द्वंद्व , व टकराव को लेकर आता है। धन के साथ व्यक्ति का अहंकार भी बढ़ जाता है ।क्योंकि किसी ने कहा है यौवन, धन-संपत्ति ,प्रभुता और अविवेक इनमें से एक भी किसी के पास हो तो वह अनर्थ का कारण बन सकता है तो, अगर चारों किसी एक व्यक्ति के पास हो जाए तो फिर तो अनर्थ से बच पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा । कहा जाता है कि लेनिन और कार्ल मार्क्स बहुत बड़े समाजवादी थे मगर हमारा यह मानना है कि तीर्थंकर भगवान सबसे बडे समाजवादी थे,क्योंकि वे जानते थे कि अगर धनवान व्यक्ति दीक्षित होंगे तो उनका धन गरीबों तक भी पहुंचेगा और उनकी भी गरीबी दूर होगी। धन के साथ प्रभुता यानी पद भी व्यक्ति के अहंकार का कारण होता है। आज के हालात यह है कि व्यक्ति पद को तो प्राप्त कर लेता है, मगर पद के प्रति अपने दायित्व और कर्तव्य को नहीं समझ पाता है। यहां तक कि वह अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए पद का दुरुपयोग करने से भी नहीं चूकता है ।महान आत्माओं के जीवन से शिक्षा को ग्रहण करें कि इंसान है तो इंसानियत को दिल में बनाए रखें ।अपने धन और पद प्रतिष्ठा आदि का दुरुपयोग नहीं करें । आज की धर्मशाला में श्रद्धालु जनों को किसी भी ऐसी गतिविधि में भाग नहीं लेना जिससे गुरुओं की और जिन शासन की गरिमा घटती हो यह संकल्प करवाए गए। महापर्व पर्यूषण का पंचम दिवस तीन-तीन सामायिक और दान दिवस के रूप में मनाया गया ।नवयुवक मंडल के सदस्यों द्वारा झोली फैलाकर जीव दया ,स्वधर्मी सहायता ,पशु पक्षी एवं मानव सेवा के लिए राशि एकत्रित की गई ।प्रार्थना, प्रवचन, प्रतियोगिता, प्रतिक्रमण आदि कार्यक्रम नियमित रूप से संचालित हो रहे हैं।तपस्या के भी खूब ठाठ लग रहे हैं। धर्म सभा में पूज्य श्री विरागदर्शन जी महारासा ने अंतगढ़सूत्र का मूल वाचन किया एवं पूज्य श्री सौम्यदर्शन मुनि जी महारासा ने इसे सरल भाषा में विस्तार से समझाया । धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा एवं हंसराज नाबेडा ने किया।

Comments

Popular posts from this blog

अजमेर जिला बार एसोसिएशन की नव निर्वाचित कार्यकारिणी ने किया पदभार ग्रहण

अजमेर बार एसोसिएशन की नव निर्वाचित कार्यकारिणी का अजमेर दरगाह में हुआ स्वागत

*मनतशा कुरैशी ने कक्षा 12 वीं में 90.4 प्रतिशत अंक लाकर किया परिवार का नाम रोशन*