विवेक व समता भाव,मुक्ति का आधार -- सौम्यदर्शन मुनि

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 12-JULY-2023 || अजमेर || गुरुदेव श्री सौम्यदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसे मुक्ति का सरल से सरल मार्ग मिल जाए यानी त्याग तपस्या भी ज्यादा न करनी पड़े, घर का त्याग भी ना करना पड़े, बस खाते-पीते मोक्ष मिल जाए। तो भगवान की वाणी फरमाती है की खाते-पीते भी मोक्ष हो सकता है बस आपको विवेक को अपनाना होगा, समता में रहना होगा, और अपनी आसक्ति के भाव को कम करना पड़ेगा. क्योंकि आसक्ति और चाहना व्यक्ति को बहुत खेल खिला देती है। अगर व्यक्ति जो भी थाली में आ जाए उसे समता भाव से स्वीकार कर ले अपनी ओर से कोई मांगे इच्छा ना रखें ,भोजन के प्रति राग के भाव का त्याग कर देवें, तो घर परिवार की बहुत सारी समस्या का तो अपने आप ही समाधान हो जाए. अगर व्यक्ति द्वारा थोड़े से विवेक को स्वीकार कर लिया जाए वह भोजन करते समय भी धर्म कर सकता है ।इसी के साथ उठते समय भी व्यक्ति के द्वारा धर्म की क्रियाएं हो सकती है इसके लिए उठते ही पहले व्यक्ति को परमात्मा के नाम का स्मरण करना चाहिए एवं घर परिवार में उपस्थित बड़ों को प्रणाम करना चाहिए। गांव या नगर में साधु संत विराजते हो तो अन्न जल ग्रहण करने से पूर्व उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करना चाहिए। भगवान की प्रार्थना वह दैनिक आराधना, उपासना के पश्चात ही किसी सांसारिक कार्य की शुरुआत करें मगर आज के मॉडल और भौतिकतावादी युग के अंदर व्यक्ति उठता ही देरी से है और उठते ही चाय पीने की आदत, चाय के साथ न्यूज़पेपर पढ़ने हेतु चाहिए, इसी के साथ मोबाइल में आज क्या मैसेज आया,व्हाट्सएप ,फेसबुक ,इंस्टाग्राम आदि के अंदर ही अपने प्रातः काल के अनमोल क्षणों को खो देता है ,जिन्हें अगर वह चाहता तो सार्थक कर सकता था। तो पूर्ण विवेक रखे अनंत पुण्यवाणी की वजह से मुझे यह दुर्लभ मानव भव मिला है तो मैं हर कार्य में चाहे वह खाने-पीने का हो या उठते समय का हो विवेक पूर्वक कार्य करने का प्रयास करूं, अगर ऐसा प्यास और पुरुषार्थ हो पाया तो सर्वत्र आनंद ही आनंद होगा । आज की धर्म सभा में श्रीमती ऋषिता बरमेचा धर्मपत्नी अभिषेक बरमेचा ने 11 की तपस्या के प्रत्याखान गुरुदेव के मुखारविंद से ग्रहण किए। उनके स्वागत और सम्मान के रूप में श्रीमती पुष्पा पोखरना एवं श्रीमती आशा चौधरी ने दो-दो तेला तप की आराधना का संकल्प स्वीकार किया। धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं ने तपस्या की अनुमोदना की। धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा ने किया

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