श्रवण शक्ति मै बाधा पहुंचाना भी हिंसा -- प्रियदर्शन मुनि

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 10-JULY-2023 || अजमेर || संघनायक गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि 10 प्रकार के प्राणों में से किसी को भी कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए। सुनने की शक्ति को बाधा पहुंचाना भी एक प्रकार की हिंसा है। यह हिंसा भी दो प्रकार से होती है 1=स्व की हिंसा और दूसरी पर की हिंसा। कान में लगातार ईयर फोन आदि लगाकर सुनने से कान की सुनने की शक्ति में बाधा उत्पन्न होती है। ज्यादा फोन आदि का इस्तेमाल करना भी अपने आप की श्रवण शक्ति को बाधा पहुंचाना है। शादी विवाह आदि प्रसंगों में तेज आवाज में चलने वाले डीजे साउंड आदि से भी बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण होता है। कुछ समाजों ने तो इस पर सामाजिक प्रतिबंध वह जुर्माना भी लगाया है अतः यह प्रयास रहे की हमारे द्वारा किसी की सुनने की शक्ति को बाधा उत्पन्न नहीं हो। इसी के साथ साधु से जिस व्यक्ति को प्रवचन सुनने की भावना हो उसे प्रवचन सुनने में बाधक बनना भी हिंसा का ही एक रूप है। अत: जाने या अनजाने मैं किसी भी रूप में हमारे द्वारा किसी के सुनने की शक्ति को बाधा नहीं पहुंचे, ऐसा हमारा निरंतर प्रयास रहना चाहिए ।अगर ऐसा प्रयास रहा तो सर्वत्र आनंद ही आनंद होगा। धर्म सभा को गुरुदेव श्री सौम्य जी महारासा ने भी संबोधित किया । धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा ने किया

Comments

Popular posts from this blog

अजमेर जिला बार एसोसिएशन की नव निर्वाचित कार्यकारिणी ने किया पदभार ग्रहण

अजमेर बार एसोसिएशन की नव निर्वाचित कार्यकारिणी का अजमेर दरगाह में हुआ स्वागत

*मनतशा कुरैशी ने कक्षा 12 वीं में 90.4 प्रतिशत अंक लाकर किया परिवार का नाम रोशन*