हम अडानी के हैं कौन ? -- कांग्रेस सेवादल
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 09-MAR-2023
|| अजमेर || राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष हेमसिंह शेखावत व प्रदेश मुख्य प्रशिक्षक तथा अजमेर संभाग के प्रभारी शैलेंद्र अग्रवाल ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर केंद्र की भाजपा सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अडानी पर गंभीर आरोप लगाये हैं। शेखावत व अग्रवाल ने जारी बयान में कहा है कि देश में बढ़ती मंहगाई, उच्चतम बेरोजगारी और कुशासन की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे का दंश झेल रहे देशवासियों के साथ कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। लेकिन एक जिम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित इस पूरे अडानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चितिंत है। इसलिए हम सरकार को उसकी जिम्मेदारी से भागने की इजाजत नहीं दे सकते है और आज ‘हम अडाणी के है कौन’ श्रृखंला में यह वक्तव्य जारी कर रहे हैं।
सरकार ने श्री राहुल गांधी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खडगे के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय कार्यवाही से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे है कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते है कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है ? और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालो के जवाब क्यों नहीं दे रहे है?
देशवासी जानना चाहते है कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेषी शेल कम्पनियों से संबंधो का आरोप है, भारत की सम्पत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है। और सब सरकारी एजेन्सियों या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही है या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी है। भारत के लोग बहुत बुद्धिमान है और वह मोदी जी और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच सम्पूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते है। वे जानना चाहते है कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वह इस गंभीर अन्तर्राष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों है?
हम किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरो की सूची में 609वें से दूसरे स्थान पर पहुंचने के खिलाफ नहीं है। लेकिन हम निस्सदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के खिलाफ है क्योंकि वह जनता के हितों के विरूद्ध होते है। विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देषो से आपत्तिजनक संबंधो, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपो से धिरे एक खास व्यक्ति द्वारा हमारी अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनो का लाभ उठाते हुए एकाधिप्तय स्थापित करने के खिलाफ है।
हम जानना चाहते है कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जॉंच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनो सदनो से उसका अच्छा बहुमत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत वापस लाने और हम नागरिक के बैंक खाते में 15-20 लाख रूपये डालने का वादा किया था लेकिन आज की कड़वी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। स्विट्जलैड के केन्द्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंको में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षो के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विस र्फैक्स (30500 करोड़ रू. से अधिक) पर पहुँच गया है।
हम जानना चाहते है कि टैक्स हेवन देषो से संचालित होने वाली विदेषी शेल कम्पनियों से भारत आने वाले काले धन का असली मालिक कौन है? "क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा", काले धन पर प्रधानमंत्री के वादे का क्या हुआ ?
प्रधानमंत्री ने कई बार भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी निष्ठा और नीयत की बाते की है लेकिन उनके करीबी मित्र स्पष्ट तौर पर ऐसे अवैध कार्यो में लिप्त रहे है जो आम तौर पर माफिया, आंतकी और शत्रु देश रहते है।
वर्षो से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी, सीबीआई और डीआरआई (खुफिया राजस्व निदेशालय) जैसी एजेन्सियों का दुरूपयोग अपने राजनीतिक या सैद्वांतिक प्रतिद्वंदियों को डराने-धमकाने के लिए किया है, साथ ही उन व्यापारिक घरानो को दंडित करने के लिए किया है जो उनके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं है।
1992 में हर्षद मेहता मामले की जॉंच के लिए एक जेपीसी का गठन हुआ था जबकि 2001 में एक जेपीसी ने केतन पारेख मामले की जॉंच की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हाराव और प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, दोनो को करोड़ो भारतीय निवेशको को प्रभावित करने वाले घोटालो की जॉंच के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों पर विश्वास और भरोसा था। प्रधानमंत्री मोदी को किस बात का डर है? क्या उनके अधीन एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष जॉंच की कोई उम्मीद है?
जब यह धोखाधड़ी हो रही थी तो सेबी क्या कर रहा था ?
1. अडानी समूह के खिलाफ स्टॅाक में हेरफेर के आरोपो के सार्वजनिक होने के बाद शेयरो की कीमतों में गिरावट से उन लाखो निवेशको को नुकसान पहुंचा जिन्होने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतो पर अडानी समूह के शेयरो में निवेश किया था। 24 जनवरी और 15 फरवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरो के मूल्य में 1050000/- करोड़ रू. की गिरावट आई । 19 जुलाई 2021 को वित मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जांच के दायरे में है। फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया।
2. एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसम्बर 2022 को 83000 करोड़ रूपये था जो 15 फरवरी 2023 को घटकर 39000 करोड़ रूपये रह गया, यानि 30 करोड़ एलआईसी पॉलीसी धारको की बचत के मूल्य में 44000 करोड़ रूपये की कमी। शेयरो के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपो के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राईजेज के फॉलो-आन पब्लिक ऑफर एफ.पी.ओ. में अतिरिक्त 300 करोड़ के रूपये निवेदन करने के लिए मजबूर किया।
3. वर्ष 2001 के केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाजार में हेरफेर करने में अडानी समूह के प्रमोटरो ने साथ दिया था। समूह पर मौजूदा आरोपो से यह चितांजनक रूप से समान है।
जॉंच करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के ‘मिल काल’ बजट में अडानी समूह को और भी अवसर प्रदान किए जो निम्न है:-
14 जून 2022 को अडानी समूह ने घोषणा की कि वह फ्रांस की ‘टोटल एनर्जीज’ के साथ साझेदारी के अन्तर्गत ग्रीन हाईड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेदन करेगा। 04 जनवरी 2023 को ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 19744 करोड़ रूपये की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। ‘टोटल एनर्जीज’ ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को रोक दिया है, लेकिन क्या अडानी की कोई ऐसी व्यावसायिक घोषणा है जिसके बाद करदाता के पैसो से सब्सिडी प्रदान नहीं की गई ?
01 फरवरी को अपने ‘मित्र काल’ बजट भाषण में वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रम को पुनजीर्वित किया जायेगा इनमें से कितने अडानी को लाभ पहुंचायेगे?
एकाधिकारी स्थापित करना -
हवाई अड्डे - अडानी समूह बहुत ही कम समय में भारत के हवाई अड्डे का सबसे बड़ा संचालक बन गया। इसने 2019 में छह में से छह हवाई अड्डे के संचालन की अनुमति सरकार से प्राप्त कर ली और 2021 में यह समूह संदेहास्पद परिस्थितियों में भारत के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे मुम्बई के छत्रपति शिवाजी महाराज अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काबिज हो गया।
बंदरगाह - आज अडानी समूह 13 बंदरगाहो और टर्मिनल को नियंत्रित करता है, जो भारत की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कुल कंटेनर आवााजी का 40 प्रतिशत है। क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दुष्टि से विवेकपूर्ण है कि धनशोधन और विदेश की शेल कम्पनियों से लेन देन के गंभीर आरोपो का सामना करने वाली एक कम्पनी को एक सामारिक क्षेत्र में प्रभुत्व रखने की अनुमति दे दी जाए?
मोदी जी ने अपने पास उपलब्ध सभी साधनो का इस्तेमाल करके बंदरगाहों के क्षेत्र में भी अडानी का आधिपत्य स्थापित करने में मदद की। सरकार द्वारा रियायत वाले बंदरगाह बिना किसी बोली के अडानी समूह को बेच दिए गए है, और जहां बोली की अनुमति दी गई है वहॉं प्रतिस्पर्धी चमत्कारिक रूप से बोली से गायब हो गए है। लगता है कि आयकर छापों ने कृष्णपट्नम बंदरगाह के पूर्व मालिक को उसे अडानी समूह को बेचने के लिए राजी करने में मदद की। 2021 में सार्वजनिक क्षेत्र का जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट महाराष्ट्र में दिघी बंदरगाह के लिए अडानी की प्रतिस्पर्धा में बोली लगा रहा था लेकिन जहाजरानी और वित मंत्रालयों द्वारा अचानक इरादा बदलने के बाद उसे अपनी जीती हुई बोली वापस लेने को मजबूर होना पड़ा।
रक्षा क्षेत्र - यह सार्वजनिक जानकारी में है कि गौतम अडानी प्रधानमंत्री मोदी की अनेक विदेश यात्रा में उनके साथ गए। 04 से 06 जुलाई 2017 की इजराईल यात्रा के बाद उन्हें भारत इजराईल रक्षा संबधो के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली भूमिका सौंप दी गई है। उन्होने कोई पूर्व अनुभव न होते हुए भी ड्रोन, इलेक्ट्रोनिक्स, छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित किए है, जबकि कई स्टार्ट अप कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियॉं इन क्षेत्र मेें कई वर्षो से है।
विद्युत क्षेत्र - यूपीए ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा बगेरहाट, बांग्लादेष में 1320 मेगावाट का थर्मल पावर प्लॉट लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने अपने मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून 2015 को उनकी ढाका यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई कि अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए झारखंड के गोड्डा में एक थर्मल पावर प्लॉट का निर्माण करेगे।
मोदी सरकार ने पिछले 9 सालों में सीएजी, सीबीआई जैसी सभी सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं पर चाहे नियन्त्रण कर लिया हो लेकिन सत्य हमेशा सामने आ ही जाता है, उसे ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर दबाया नहीं जा सकता है। कृपया इंतजार करिए और देखिए, यह सिर्फ शुरूआत है, बीजेपी के कई और गुप्त भेद आने समय में उजागर होगे।
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