चाहे कहीं से आये पंछी, लगते नहीं पराये पंछी -- ग़ज़ल शकूर अनवर

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 18-NOV-2022 || अजमेर || ग़ज़ल शकूर अनवर चाहे कहीं से आये पंछी।। लगते नहीं पराये पंछी।। * उसका मन भी कोमल होगा। जिसके मन को भाये पंछी।। * मौसम के बंजारे बनकर। पर्वत पार से आये पंछी।। * हमको अपने भोलेपन का। आईना दिख लाये पंछी।। * इन्सानों की नीयत खोटी। कैसे ऑंख मिलाये पंछी।। * गंतव्यों की चाह तो देखो। बस उड़ता ही जाये पंछी।। * दूर किसी सुनसान खॅंडर में। अपना शहर बसाये पंछी।। * काबा काशी छोड़ के "अनवर"। मेरी छत पर आये पंछी।। * शकूर अनवर

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