आज फिर शहर का एक इम्तहान- डा. रमेश अग्रवाल

भाजपा नेता नुपुर शर्मा एवं नवीन जिंदल के गैरजिम्मेदाराना वक्तव्य के 12 दिन बाद आज शुक्रवार को अजमेर के मुस्लिम समुदाय द्वारा एक मौन जुलूस निकाल कर जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया जा रहा है। इस दरम्यान नवीन जिंदल को भाजपा से निष्कासित किया जा चुका है और नुपुर शर्मा को निलम्बित। इन वक्तव्यों के खिलाफ देश-विदेश में हुई तीखी प्रतिक्रियाओं के बाद नफरत की लकड़ियों से राजनीति का चूल्हा सुलगाने वाले बड़े बावर्चियों को भी आग में उंगलियां झुलसने का दर्द झेलना पड़ा है।यह सब देखते हुए अब इस जुलूस की जरूरत तो महसूस नहीं होती, बहरहाल चूंकि अजमेर के मुस्लिम समुदाय के मन में सुलग रही आंच को अब तक निकास नहीं मिल पाया था तो ऐसे में उनका अपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करना अपनी जगह गलत भी नहीं कहा जा सकता, मगर इस अवसर पर शहर की शांति के पहरुओं को याद दिलाना जरूरी है कि कल जुम्मा है और पिछले जुम्मे की नमाज के बाद ही झारखंड, यूपी,बिहार और पश्चिम बंगाल में हालात बेकाबू हुए थे। किसी भी समाज में आमजन की भीड़ पर जबतक विवेकसम्मत बुद्धिजीवियों की लगाम कारगर रहती है यह समाज आगे बढ़ता है मगर जिस क्षण यह लगाम विवेक के हाथ से छूट जाती है यही भीड़, खुद इसके नियंता को ले बैठती हैं। अच्छी बात यह है कि अजमेर शहर के मस्तिष्क में बैठे विवेक के संस्कार बहुत प्रबल और बहुत पुराने हैं। यहां के बुद्धिजीवी चाहे वे किसी भी धर्म अथवा समुदाय के हों, इस शहर के भले और बुरे से बहुत अच्छी तरह वाकिफ हैं।वक्तआने पर हर बार उन्होंने यह साबित भी किया है। कुछ ही रोज पहले अजमेर की दरगाह शरीफ को लेकर कुछ गैर जिम्मेदार लोगों ने जब यहां का माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया था तब भी इस शहर के संस्कारों ने ही उन्हें नाकाम किया था। मगर जैसी कि खबर है कल के जुलूस में भाग लेने के लिये बड़ी तादाद में बाहर के लोग भी आ रहे हैं । संजीदा और जिम्मेदार शहरवासियों को ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखनी होगी जिन्हें न यहां के आपसी रिश्तों की जानकारी है और न ही यहां के लोगों के जानमाल की फिक्र। जिम्मेदार मुस्लिम लीडर्स ने जहां एक तरफ कल के जुलूस को मौन स्वरूप देकर समझदारी का परिचय दिया है वहीं दरगाह बाजार व्यापारिक एसोसिएशन, जिसमें सभी धर्म के लोग शामिल हैं ने कल चार घन्टे तक बाजार बन्द रखने की पहल कर मुस्लिम समाज की भावनाओं के प्रति सम्मान दिखाया है। शहर काजी ने अपने फरमान में स्पष्ट तौर पर हिदायत दी है कि जुलूस के दौरान कोई अपना मुंह तक न खोले। जिस रास्ते से ज्ञापन देने जायें, चुपचाप उसी से लौट जायें। इस व्यवस्था के दौरान जो सबसे प्रशंसनीय हिदायत है वह यह है कि छोटे छोटे समूहों के जो लीडर लोगों को आमंत्रित करके बुलायें उन्हीं की जिम्मेदारी है कि वे वापस उन्हें अनुशासित तरीके से घऱ् भी पहुंचायें। सिर्फ मुस्लिम नहीं शहर के हर धर्म के हर छोटे व बड़े नेता के साथ साथ कल फिर एक बार पूरे शहर का इम्तहान है ।हमारा विश्वास है, इस बार फिर यह शहर यह इम्तिहान भी पूरे देश को टाप कर दिखायेगा। दैनिक भास्कर दिनाँक 17 जून 22 में प्रकाशित

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