पाती लेखन पुस्तकों पर परिचर्चा
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 10-OCT-2021
|| अजमेर || जो बात हम पत्र के माध्यम से अपने मित्रों ,संबंधियों, गुरुओं या किसी को भी दिल खोलकर कह सकते हैं ,जिसमें संवेदनाएं ,अनुभूतियां होती हैं , मोबाइल द्वारा भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं हो सकती है । एक वक्त था जब हम डाकिये का बेसब्री से इंतजार करते थे । अब तो डाक से पत्र आते ही कहां हैं । यह विडम्बना है । परिचर्चा का संचालन कर रहे बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने
ये विचार व्यक्त किये ।
मोबाइल के युग में पत्र व्यवहार करीब करीब समाप्त हो गया है । इस विधा को पुनर्जीवित करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं अतिरिक्त जिला कलेक्टर ,सवाई माधोपुर डाँ. सूरज सिंह नेगी और डाँ. मीना सिरोला ने पर्यावरण ,शिक्षक,तथा मित्रता पर , प्रतियोगिताएं आयोजित की जिसमें देश के 150 से अधिक साहित्यकारों ने पत्र लिखकर अपने विचार रखे । इन पत्रों का संकलन " प्रकृति की पुकार " पाती शिक्षक को " तथा एक पाती मीत को " पुस्तकों में किया गया । प्रकृति की पुकार में 118, पाती शिक्षक को में 60 तथा एक पाती मीत को में 121 पत्रों का संग्रह है ँ
पाती मुहिम की इन पुस्तकों पर अजमेर के वरिष्ठ साहित्यकार बनवारीलाल शर्मा के ईदगाह रोड़ ,वैशाली नगर स्थित आवास पर परिचर्चा का आयोजन किया गया ।
सभी ने एक मत से यह महसूस किया कि जो बात संवेदनात्मक तरीके से पत्र द्वारा नि:संकोच व्यक्त कर सकते हैं वह मोबाइल द्वारा संभव नहीं है । सभी ने तीनों पुस्तकों में प्रकाशित पत्रों पर विस्तार से चर्चा की । पुस्तक "प्रकृति की पुकार " में पर्यावरण के संरक्षण के उपायों पर , "पाती शिक्षक को पुस्तक में यह बताया गया है कि शिक्षक से समाज और छात्रों की क्या अपेक्षा रहती है,वह अंक प्राप्त करने की मशीन ही न बनकर नैतिक और राष्ट्रीय भावना से ओत प्रोत रहे तथा शिक्षक का सम्मान किस प्रकार बना रह सकता है पर विवेचना तथा "एक पाती मीत को " पुस्तक में सच्ची मित्रता के बारे में लेखकों ने पत्रों में अपने विचार रखे जो समाज , तथा राष्ट्र के लिए मार्गदर्शन देंगे । पाती लेखन की इस मुहिम में अजमेर के 28 साहित्यकार सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं । परिचर्चा में पाती मुहिम से जुड़े अजमेर के साहित्यकार रंजना माथुर , भावना शर्मा ,डाँ. विनीता अशित जैन, शशिकला शर्मा ,रेखा.शर्मा ,लता शर्मा,विजय शर्मा ,कृष्णकुमार शर्मा, सुबोध माथुर , देवदत्त शर्मा , शुभदा भार्गव ,काजल खत्री , तथा कुलदीपसिंह रत्नू ने भाग लिया । परिचर्चा का संचालन बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने किया ।
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