राजस्थान विधानसभा जयपुर में पुष्कर विधायक सुरेश सिंह रावत ने ज्वलंत मुद्दों पर सरकार का ध्यान किया आकर्षित

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 14-SEP-2021 || अजमेर || रिपोर्ट हीरालाल नील---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- विधायक सुरेश सिंह रावत ने राजस्थान विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के द्वारा पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के गांवों की भूमि अजमेर विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दिए जाने से इन गांवों की एडीए को हस्तांतरित आबादी, कृषि एवं सरकारी भूमियों पर पीढ़ियों से निवास कर रहे परिवारों के मकानों के पट्टे जारी नहीं हो पाने और पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के गांवों की चरागाह भूमि को एडीए के हस्तांतरण कर देने से गांवों के मवेशियों के चरने-फिरने, विचरण करने की गंभीर समस्या के विरुद्ध आवाज बुलंद की। विधायक रावत ने सरकार से मांग की कि, प्रशासन गांवों के संग अभियान से पूर्व एडीए के अधीन पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के गांवों की शेष बची हुई आबादी, कृषि एवं सरकारी भूमियों को पुनः ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित करावे, ताकि आयोजित होने वाले शिविरों में इन गांवों में भी पीढ़ियों से निवास कर रहे ग्रामीणों के मकानों के पट्टे भी जारी हो सके। जिसके लिए ग्रामीण कई दशकों से दर-दर भटक रहे है। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में विधायक रावत द्वारा लगभग 3000 बीघा भूमि एडीए पुनः ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित करवाई जाने के फलस्वरुप हजारो परिवारों को पट्टे जारी हो पाए थे। इस संबंध में सरकार को अवगत कराते हुए विधायक रावत ने मांग की कि, ऐसी अवशेष सभी भूमिया आयोजित किए जाने वाले कैंपो से पूर्व ही ग्राम पंचायतों को पुनः हस्तांतरित की जावे, यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो आयोजित होने वाले कैंप औचित्य हीन है। जिनका ग्रामीणों द्वारा बहिष्कार किए जाने की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता। अतः सरकार संवेदना पूर्वक इस ओर ध्यान आकर्षित कर अविलंब कार्रवाई करावे और शिविरों में आबादी भूमि में निशुल्क पट्टे जारी करने के भी आदेश सरकार जारी करें। साथ ही विधायक रावत ने सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए मांग की कि, पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के एडीए के अधीन गांवों की गोवंश की चरागाह की भूमियों को एडीए को हस्तांतरित करने की कार्रवाई की जा रही है, जिस पर भी तुरंत प्रभाव से मवेशियों के प्रति संवेदना रखते हुए रोक लगाई जाए। ताकि गांवों के गोवंश और मवेशियों की भूमि ए डी ए को हस्तांतरित होने के बाद दलालों के माध्यम से खुर्दबुर्द होने को रोककर बेजूबानो के हितों का संरक्षण किया जा सके।

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