नेहरू जी की 57वीं पुण्यतिथि पर उनके योगदान को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 27-MAY-2021 || अजमेर || रिपोर्ट हीरालाल नील------------------------------------------------------------------------------------------- स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री प. जवाहरलाल नेहरू जी की 59वी पुण्यतिथि पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कॉलेज शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक डॉ जे के गर्ग ने प. नेहरू को भारत के नवनिर्माण का महान शिल्पकार बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ गर्ग ने इस अवसर पर कहा कि नेहरू जी गांधीजी को श्रद्धा की दृष्टि से देखते थे और गांधीजी अपने बेटों से भी ज्यादा स्नेह अपने अनुयायी पर बरसाते रहे | लेकिन भविष्य के भारत के प्रति दोनों के रुझान एवं सोच में भारी अंतर था | नेहरू जहाँ धर्म-विरक्त थे, वहीं गांधी अपने विश्वासों के अनुरूप ईश्वर पर आस्था रखते थे| नेहरू भारत की पारंपरिक गरीबी से मुक्ति पाने के लिए औद्योगीकरण को ही एकमात्र विकल्प मानते थे, जबकि गांधी ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था के पक्षधर थे| जहाँ नेहरू आधुनिक सरकारों में सामाजिक व्यवस्था को सुधारने और गतिशील बनाने की क्षमता में पूरा यकीन करते थे वहीं दुसरी तरफ गांधी राज-तंत्र को शंका की नजर से देखते थे, उनका विश्वास व्यक्तियों और ग्राम-समुदायों के विवेक पर केंद्रित था | इन असहमतियों के साथ दोनों के बीच बुनियादी सहमतियां भी थीं, दोनों व्यापक अर्थ में देशभक्त थे, जिन्होंने किसी जाति,भाषा, क्षेत्र,धर्म या कि किसी भी तरह अधिनायकवादी सरकार के साथ होने के बजाय अपने को पूरे देश के साथ एकाकार कर लिया था|दोनों हिंसा और आधिनायकवाद नापसंद करते थे| दोनों अधिनायकवादी सरकारों की तुलना में लोकतंत्रात्मक सरकारों को पसंद करते थे| प्रधानमंत्री नेहरू जी ने  ऐसी शक्तिशाली संस्थाओं का निर्माण किया जिनसे भारत में प्रजातांत्रिक व्यवस्था स्थायी हो सके। इन संस्थाओं में संसद एवं विधानसभाओं व पूर्ण स्वतंत्र न्यायपालिका शामिल हैं। प्रजातंत्र को जिंदा रखने के लिये निश्चित अवधि के बाद चुनावों की व्यवस्था और ऐसे संवैधानिक प्रावधान जिनसे भारतीय प्रजातंत्र धर्मनिरपेक्ष बना रहे| नेहरू जी ने साम्प्रदायिकता का विरोध करते हुए धर्मनिरपेक्षता पर बल दिया। उनके व्यक्तिगत प्रयास से ही भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था। नेहरू जी मिश्रित अर्थव्यवस्था समाज की रचना के लिए अपनी प्रतिबद्धता घोषित करते रहे| वास्तविकता तो यही है कि नेहरू का विजन मॉडल राज्य की उस विकासवादी प्रतिबद्धता की घोषणा ही है जो शोषण-विहीन समाज-रचना की बुनियादी शर्त है| बिजली का उत्पादन पूरी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र में रखा गया। इसी तरह इस्पात, बिजली के भारी उपकरणों के कारखाने, रक्षा उद्योग, एल्यूमिनियम एवं परमाणु ऊर्जा भी सार्वजनिक क्षेत्र में रखे गए। देश में तेल की खोज की गई और पेट्रोलियम रिफाइनरी व एलपीजी बॉटलिंग का काम भी केवल सार्वजनिक क्षेत्र में रखे गये। उच्च तकनीकी शिक्षा के लिये आईआईटी स्थापित किये गये, प्रबंधन के गुर सिखाने केलिए आईआईएम खोले गए। इन उच्चकोटि के संस्थानों के साथ-साथ संपूर्ण देश के पचासों छोटे-बड़े शहरों में इंजीनियरिंग कालेज व देशवासियों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिये मेडिकल कालेज स्थापित किये गये। वैज्ञानिक सोच को बढावा देने के लिए नेहरू ने ‘भारतीय विज्ञान कांग्रेस’ की स्थापना की। उन्होंने खेलों को मनुष्य के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक बताया। एक देश का दूसरे देश से मधुर सम्बन्ध क़ायम करने के लिए 1951 में उन्होंने दिल्ली में प्रथम एशियाई खेलों का आयोजन करवाया | योजनाबद्ध विकास हेतु योजना आयोग की स्थापना की गई। योजना आयोग ने देश के चहुंमुखी विकास के लिये पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं। उन्होंने अपनी विदेशी नीति का आधार गुटनिरपेक्षता को बनाया। नव-स्वाधीन देशों ने गुटनिरपेक्षता को अपनाया परंतु हमारी गुटनिरपेक्षता की नीति के कारण सारी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी और जवाहरलाल नेहरू गुटनिरपेक्ष देशों के सर्वाधिक शक्तिशाली नेता बन गये। नेहरूजी ने निर्गुटता एवं पंचशील जैसे सिद्धान्तों का पालन कर विश्व बन्धुत्व एवं विश्वशांति को प्रोत्साहन दिया।    नेहरू के समय में एक और अहम फ़ैसला भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का था। इसके लिए राज्य पुनर्गठन क़ानून (1956) पास किया गया। आज़ादी के बाद भारत में राज्यों की सीमाओं में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव था। इसके तहत 14 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों की स्थापना हुई। इसी क़ानून के तहत केरल और बॉम्बे को राज्य का दर्जा मिला। संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया जिसके तहत भाषाई अल्पसंख्यकों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिला | आजाद भारत में जहाँ सरदार पटेल ने अपनी सूझबूझ से सभी राजे-रजवाड़ों का भारत में विलय करवाकर एक संघटित राष्ट्र का स्वरूप दिया वहीं नेहरू ने भारत को एक शक्तिशाली आर्थिक नींव देने के लिए आवश्यक योजनाएं बनाई और उनके क्रियान्वयन के लिये उपयुक्त वातावरण भी। इस तरह भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए नेहरू जी ने अपने समय में कई दूरगामी निर्णय लिए जिनके लिए देश और दुनिया नेहरू जी को युगों युगों तक याद रखेगी। नेहरू जी की 57वीं पुण्यतिथि पर भारत के नवनिर्माण के महान शिल्पकार के रूप में श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन करें। कांग्रेस सेवादल के पूर्व जिलाध्यक्ष व पूर्व प्रदेश संगठक पूर्व पार्षद शैलेन्द्र अग्रवाल ने प. नेहरू जी के योगदान के बारे में मार्गदर्शन व ज्ञानवर्धक तथ्यों से अवगत कराने के लिए डॉ श्री जे के गर्ग का आभार व्यक्त किया। सोशल मीडिया के माध्यम से हुए इस गोष्ठी कार्यक्रम में सेवादल के पूर्व पदाधिकारी अशोक सुकरिया, आरिफ खान, कमल कृपलानी, नरेश मुदगल, नरेश सोलीवाल, सम्पत कोठारी, राजकुमार गर्ग, सुनील सोनी, अरविन्द गर्ग, गौरव अग्रवाल व विपुल अग्रवाल आदि कांग्रेसजन शामिल हुए

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