साहित्यकार व कवयित्री सुमन शर्मा की ओर से पेश एक कविता

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 05-AUG-2020
|| अजमेर  || साहित्यकार व कवयित्री सुमन शर्मा की ओर से पेश एक कविता 


इंतहा मोहब्बत की 
हम तो उनसे सौ-सौ सवाल करते हैं, 
फिर भी वो हम पे यकीं बेहिसाब करते हैं। 
जब-जब भी हम फूलों की तमन्ना करते हैं,
वो हमें नज़र गुलशन तमाम करते हैं। 
यूं तो मुद्दत हुई है हमें आईना देखे हुए, 
वो हैं कि चांँद को मेरा अक्स करार करते हैं। 
हमको आता है मजा छुप-छुप के मिलने में, 
वो हैं कि मोहब्बत का चर्चा-ए-आम करते हैं। 
हमने तो सिर्फ उनसे ही मोहब्बत की है, 
सुनते हैं कि वो हमपे फना होने का दम भरते हैं। 
कहते हैं कि रास आती है मोहब्बत में बस तन्हाई, 
वो तन्हा होकर भी कहाँ तन्हा रहते हैं। 
हम पर यूं छाया रहता है इश्क का जुनून, 
वो तो दीवानगी की हद से गुजरते हैं। 
प्यार को पाना है चाहत की दिलकशी, 
वो तो खोकर भी पाने का भरम रखते हैं। 
वैसे तो नहीं मिलते जमीं-आसमां कभी लेकिन, 
वो मेरी जमीं को मेरा आसमां-सा लगते हैं। 
जहां मैं जब भी जिक्र होता है उनकी चाहत का, 
हम तो सिर्फ मुस्कुरा कर सलाम करते हैं। 


 सुमन शर्मा    


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