साहित्यकार व कवित्री सुमन शर्मा की रचना "एहसास जुदाई का संभाला न जाएगा"
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 08-APR-2020
|| अजमेर || एहसास जुदाई का संभाला न जाएगा
ये गम हमसे अब पाला न जाएगा,
एहसास जुदाई का संभाला न जाएगा,
तू हो मसीहा या सितमगर मेरा, राज ये हमसे छुपाया न जाएगा, मोहब्बत ने तेरी किया है रुसवा कितना,
दर्द ये आंसुओं में बहाया न जाएगा,
कितने तन्हा हैं तुझ बिन कैसे कहें,
राज ये सबको बताया न जाएगा,
तू गैर होकर भी है कितना अपना, इस राज से पर्दा उठाया न जाएगा,
तेरी यादों की महफिल जवां है अब तक,
जख्म तन्हाई का और सहलाया न जाएगा,
जला है आशियां मेरा मुबारक हो ये है कहना,
हमसे ये दामन अब बचाया न जाएगा,
घनघोर अंधेरा है तूफानों ने घेरा है,
कश्ती को समंदर से निकाला न जाएगा,
इस कदर किया है तूने रुसवा मुझको,
कि यह सर सजदे में झुकाया न जाएगा।
सुमन शर्मा, अजमेर
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