साहित्यकार राजेश भटनागर की रचना "कपाट बंद"
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 16-APR-2020
|| अजमेर || साहित्यकार राजेश भटनागर की रचना कपाट बंद कविता - कपाट बंद
कर लिए हैं ईश्वर ने
अपने दरवाजे बंद
क्योंकि-
रावण ही रावण बचे हैं
रह गए हैं राम चंद ।
असत्य, अधर्म, अहंकार
लोभ-लालच, व्यभिचार ने
बना दिया मानव को दानव
जो करने लगा है तस्करी
मानव अंगों की ।
धर्म के नाम पर भरमार
यहां दंगों की ।
किराए की कोख तक का
करने लगा है सौदा ।
अबोध बच्चियों तक को
अपनी हवस से इसने रौंदा ।
करने लगा है स्त्री के गर्भ में ही
भ्रूण हत्याएं ।
कोई एक नहीं अनेकों हैं
ईश्वर की व्यथाएं ।
वो नहीं देखना चाहता अब
सूरत इंसान की ।
नहीं रह गई कीमत
जहां ईमान की ।
प्रतिदिन हत्याएं, ब्लात्कार
छोटी-छोटी मासूमों की चीत्कार
नालियों में बहता पशुओं का
खून है ।
मानव से ईश्वर बनने का यहां
जुनून है ।
इसीलिए-
कर दिया है उसने सभी को
घरों में नज़रबंद।
और खुद भी बैठ गया है
करके कपाट बंद ।
*******
©राजेश कुमार भटनागर
संस्थापक-अध्यक्ष
माँ शकुन्तला देवी साहित्य एवं
कला परिषद, अजमेर
मो. 8949415256
Comments
Post a Comment