रचनाकार और लेखन का शौक रखने वाले अमित टंडन के द्वारा रचित कुछ गजलें

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 15-APR-2020
|| अजमेर || रचनाकार और लेखन का शौक रखने वाले अमित टंडन के द्वारा रचित कुछ गजलें 
एक मतला और कुछ शेर देखें
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जब से ज़ुबान के सारे अशआर फीके हो गए
तब से मिरे मुल्क में त्यौहार फीके हो गए...


उम्मीद इन्सान की इन्सान से, कसैली हो गई
लहज़े कड़वे हो गए, मददगार फीके हो गए..


लज़्ज़त थी झूठी इमलियों में, बचपने में मिठास थी
दुनियावी ढकोसलों में कुछ यार फीके हो गए...


ज़माने की नौटंकियों में चहरे पुते पुते से हैं
परतों में दबे दबेे सब किरदार फीके हो गए..


कातिब अपनी किताब के हर्फ-ओ- पुर्जे समेट ले
इस दौर में दादो-सुखन के इफ़्तिखार* फीके हो गए...


अहसान-फरामोशी और ये मौकापरस्ती की इन्तहां
"धन्यवाद" फीके हो गए, "आभार" फीके हो गए...


*इफ़्तिखार - मान, प्रतिष्ठा, कीर्ति


-अमित टंडन, अजमेर


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