कवित्री सुमन शर्मा ने दोस्ती पर इसकी अपनी कविता "दोस्ती"

||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 08-APR-2020
|| अजमेर ||
                  दोस्ती 
चमकती तारकावलि के बीच ध्रुव तारा है दोस्ती। 
जीवन के कंटकों में शबनमी फुहार है दोस्ती। 
कभी नटखट शरारत तो कभी मीठी मनुहार है दोस्ती। 
कन्हैया का प्यार और सुदामा का दुलार है दोस्ती। 
एक दूसरे के छिपे रहस्यों का हमराज है दोस्ती। 
बिखरे भावों के बीच मुक्तक मणियों की माला है दोस्ती।
 कभी हमप्याला, हमनिवाला तो एक ही हाला है दोस्ती। 
ईश्वर की अद्भुत नेमत तो प्रकृति का उपहार है दोस्ती। 
कविता कभी कहानी तो छंद- अलंकार है दोस्ती। 
सुर-संगीत, राग- प्रीत और झंकार है दोस्ती। 
कभी आरती, कभी अजान तो प्रेम पुकार है दोस्ती। 
प्रार्थनाओं से सजा देहरी पर किया दीपदान है दोस्ती। 
सीपी में बंद मोती- सा अनुपम उपहार है दोस्ती। 
जान है जहान है, मेरा तो पूरा आसमान है दोस्ती। 
खता है, सजा है, दुआ है, हौसला है दोस्ती। 
मन में छुपे मौन भावों की प्रार्थना है दोस्ती। 
बंधन है, स्पंदन है, जीवन है, सृजन है दोस्ती। 
प्रहार है,प्रतिकार है, उपहार है, आभार है दोस्ती। 
जीवन के सूने उपवन में मधुमास है दोस्ती। 
सुर -संगीत और खुशियों से सजा इंद्रधनुष है दोस्ती। 
खुदा की नेमत, अपनों का प्यार, प्रकृति का वरदान है दोस्ती। जीवन की निराशाओं में आशा का संचार है दोस्ती है। 
हृदय है, मस्तिष्क है और मेरुदंड है दोस्ती। 
अर्चन, वंदन, नमन, अर्पण और समर्पण है दोस्ती। 
हार- जीत से परे एक एहसास है दोस्ती। 
चमन है, वतन है, गगन है और सुमन है दोस्ती।
 सुमन शर्मा


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