डॉ मुकेश बागड़ी सहज रेलवे हॉस्पिटल अजमेर द्वारा प्रस्तुत की कविता "बेचारा डॉक्टर"
||PAYAM E RAJASTHAN NEWS|| 29-MAR-2020
|| अजमेर || डॉ मुकेश बागड़ी सहज रेलवे हॉस्पिटल अजमेर द्वारा प्रस्तुत की कविता "बेचारा डॉक्टर"
अगर युद्ध में मरे फौजी, तो वो शहीद का दर्जा पाता है,
महामारी में मरा बेचारा डाक्टर तो केवल फर्ज निभाता है।
बिमारी में जब अपने भी छोड़ कर दूर भाग जाते हैं,
तब बेचारे डाक्टर ही मरीज को गले से लगते हैं।
जान बची तो डाक्टर में भगवान नजर आता है,
और जान न बचा पाया तो डाक्टर मार खाता है।
मृत्यु एक अटल सत्य है डाक्टर किसी को मारता नहीं,
अगर ये इसके बस में होता तो खुद मौत से हारता नहीं।
ऐसा कौन है यहां, जो पैसा कमाना चाहता नहीं है,
लेकिन गुंडे लुटेरों से तुलना करना कहां तक सही है।
विकट परिस्थितियों में भी सन्यम से काम लेना पड़ेगा,
तभी तो बेचारा डाक्टर मरीज के लिए मौत से लड़ेगा।
डाक्टर को भी मिलना चाहिए अपनी मेहनत का फल,
तभी तो वो संवार पाएगा अपना आने वाला कल।
सहज ही मैं देता हूं आप सबको आज एक ज्ञान,
मुसिबत में ही होती है एक सच्चे दोस्त की पहचान।
समय रहते अगर हम सब सन्भल नहीं पाएंगे,
तो डाक्टर बेचारे मुसिबत मे कैसे काम आएंगे।
डॉ मुकेश बागड़ी सहज
रेलवे हास्पिटल, अजमेर
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